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मैरी वोलस्टोनक्राफ़्ट

1759 - 1797 | लंदन

ब्रिटिश नारीवादी विचारक, लेखिका और दार्शनिक। आधुनिक नारीवाद की जननी के रूप में समादृत।

ब्रिटिश नारीवादी विचारक, लेखिका और दार्शनिक। आधुनिक नारीवाद की जननी के रूप में समादृत।

मैरी वोलस्टोनक्राफ़्ट के उद्धरण

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पुरुषों और स्त्रियों को जिस समाज में वे रहते हैं, मुख्यतः उसकी राय और शिष्टाचार के अनुरूप शिक्षित होना चाहिए।

स्त्रियों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि सुंदरता उनका छत्र है, इसलिए मन शरीर को आकार देता है और अपने चमकदार पिंजरे में घूमते हुए केवल अपनी जेल को सजाना चाहता है।

स्त्रियों को तर्कसंगत प्राणी और स्वतंत्र नागरिक बनाएँ, और अगर पुरुष पतियों और पिता के कर्त्तव्यों की उपेक्षा नहीं करते हैं तो वे जल्द ही अच्छी पत्नियाँ बन जाएँगी।

यह स्त्री शिष्टाचार में क्रांति लाने का समय है—उन्हें उनकी खोई गरिमा लौटाने का समय। यह अपरिवर्तनीय नैतिकता को स्थानीय शिष्टाचार से अलग करने का समय है।

मुझसे सीखें, यदि मेरे उपदेशों से नहीं, तो मेरे उदाहरण से सीखें कि ज्ञान की खोज कितनी ख़तरनाक है और वह व्यक्ति जो अपने मूल शहर को ही दुनिया मानता है, वह उस व्यक्ति की तुलना में कितना ख़ुश है जो अपनी शक्ति से बड़ा होने की आकांक्षा रखता है।

स्त्री के मन का विस्तार करके उसे मज़बूत बनाया जाए, तो बुद्धिहीन आज्ञाकारिता का अंत हो जाएगा।

पुरुषों द्वारा स्त्रियों की तरफ़ छिटपुट ध्यान देकर उनको व्यवस्थित रूप से अपमानित किया जाता है, जबकि वास्तव में, ऐसा करके पुरुष अपनी श्रेष्ठता का समर्थन कर रहे होते हैं।

स्त्रियों को सरकार के विचार-विमर्श में बिना किसी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी के मनमाने ढंग से शासित किए जाने के बजाय उनके प्रतिनिधि सरकार में होने चाहिए।

मैंने लंबे समय से स्वतंत्रता को जीवन का भव्य आशीर्वाद और हर गुण का आधार माना है; और मैं अपनी आवश्यकताओं को कम करके भी सदा स्वतंत्रता को सुरक्षित कर लूँगी, चाहे मुझे बंजर भूमि पर रहना पड़े।

दुनिया में परोपकार की नहीं, बल्कि न्याय की कमी है।

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