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जेर्मेन ग्रीर

1939

जेर्मेन ग्रीर के उद्धरण

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समाज तुम्हें जो छवि देता है उसके बजाय, अपनी ख़ुद की छवि गढ़ने का निर्णय लेने के लिए बहुत साहस और स्वतंत्रता की ज़रूरत है, लेकिन जैसे-जैसे तुम आगे बढ़ते जाते हो, यह आसान हो जाता है।

जो गृहिणियाँ अपने पति को अख़बार के पीछे से घूर रही होती हैं, या बिस्तर पर उनकी साँसों को सुन रही होती हैं, वे किराए के कमरे में रहने वाली अविवाहिता से भी ज़्यादा अकेली हैं।

झूठ घृणित है और उसका अपना स्वयं का विकराल जीवन है। वह अपने चारों ओर फैली सच्चाई को दूषित कर देता है।

हर स्त्री जानती है कि उसकी अन्य सभी उपलब्धियों के बावजूद, अगर वह सुंदर नहीं है तो वह असफल है।

स्त्री के रुतबे को उसके द्वारा किसी पुरुष को आकर्षित करने और फुसलाने की क्षमता से नहीं मापा जाना चाहिए।

एक गृहिणी के काम का कोई महत्व नहीं होता है : उस काम को बस फिर से करना होता है। बच्चों को पालना कोई वास्तविक पेशा नहीं है, क्योंकि बच्चे एक ही तरीक़े से बड़े होते हैं, उनका पालन-पोषण किया जाए या नहीं।

उदासी की कोख से बोध और व्यंग्य उत्पन्न होते हैं; उदासी असहज और अप्रिय है, इसीलिए उपभोक्ता समाज इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता है।

पढ़ना मेरी पहली एकमात्र बुरी आदत थी और उससे अन्य सब अवगुण आए। मैंने खाते वक़्त पढ़ा, मैंने शौचालय में पढ़ा, मैंने स्नानघर में पढ़ा। जब मुझे सोना चाहिए था, मैं पढ़ रही थी।

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मुझे लगता है कि वे पुरुष जो स्त्रियों के प्रति व्यक्तिगत रूप से सबसे अधिक विनम्र हैं, जो उन्हें देवदूत कहते हैं, वे गुप्त रूप से स्त्रियों का सबसे अधिक तिरस्कार करते हैं।

सुरक्षा जीवन का नकार है।

आप केवल एक बार युवा होते हैं, लेकिन हमेशा के लिए अपरिपक्व बने रह सकते हैं।

मानव के पास ख़ुद को गढ़ने का अपरिहार्य अधिकार है।

आनंद का सार सहजता है।

स्वतंत्रता भयानक है, लेकिन वह प्राण-पोषक भी है।

अगर स्त्री कभी ख़ुद को मुक्त नहीं करती है, तब वह कैसे जान पाएगी कि उसे कितनी दूर तक जाना है? अगर वह अपने ऊँची एड़ी के जूते कभी नहीं उतारेगी, तब वह कैसे जान पाएगी कि वह कितनी दूर चल सकती है या कितनी तेज़ी से दौड़ सकती है?

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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