ज्याँ-पाॅल सार्त्र के उद्धरण
झूठ बोला जाना सबसे बुरा तब है जब आपको यह मालूम होता है कि आप इस योग्य भी नहीं थे कि आप से सच बोला जाए।
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प्यार महसूस करना एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। आपको उर्जावान, उदार और चीज़ों के प्रति अज्ञ होना पड़ेगा। शुरू शुरू में ऐसे भी क्षण आते हैं जब आपको एक खाई पार करनी होती है। अगर आप इसके बारे में सोचते हैं, तो आप ऐसा नहीं कर पाते।
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मुझे मेरा धर्म मिल गया था: मेरे लिए किताब से अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं था। मैंने पुस्तकालय को एक मंदिर के रूप में देखा।
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अपने पैरों पर खड़े होकर मरना बेहतर है बजाय अपने घुटनों के बल जीने के।
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वह स्वतंत्र था, हर तरह से स्वतंत्र, मूर्ख या मशीन की तरह व्यवहार करने के लिए स्वतंत्र, स्वीकार करने के लिए स्वतंत्र, मना करने के लिए स्वतंत्र, झिझकने के लिए स्वतंत्र; विवाह करने के लिए, खेल को बीच में छोड़ कर जाने लिए, वर्षों तक इस मृत वजन को अपने साथ ढ़ोने के लिए। वह जो चाहे कर सकता था, किसी को उसे सलाह देने का अधिकार नहीं था, उसके लिए कोई अच्छा या बुरा नहीं हो सकता था जब तक वह उनके अस्तित्व को नहीं स्वीकार कर लेता।
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मुझे लगता है कि आलस्य ही इसका कारण है कि दुनिया हर दिन एक जैसी रहती है। आज ऐसा लग रहा था कि वह बदलना चाहती है। और फिर कुछ भी, कुछ भी हो सकता था।
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अगर तुम ख़ुद के साथ होते हुए भी अपने को अकेला पाते हो तो तुम बुरी संगत में हो।
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क्या आप सोचते हैं कि मैं दिन गिनता हूँ ? हम सभी के पास सिर्फ़ एक ही दिन है। हमेशा से एक नई शुरुआत। यह दिन हमें सुबह दिया जाता है और शाम को हमसे ले लिया जाता है।
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मैं महसूस करता हूँ कि जो कुछ भी मैंने अपने जीवन के बारे में जाना है, मैंने किताबों से सीखा है।
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मैं मेरे विचार हूँ: इसलिए मेरा रुकना संभव नहीं है। मेरा अस्तित्व मेरे विचारों से है और मैं ख़ुद को सोचने से नहीं रोक सकता। इस क्षण में - यह भयावह है - अगर मैं अस्तित्व में हूँ तो इसका कारण यह है कि मैं अपने अस्तित्व से भयभीत हूँ। मैं ही हूँ जो ख़ुद को उस शून्यता से खींचता हूँ जिसकी मैं आकांक्षा करता हूँ।
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मनुष्य कुछ भी नहीं हो सकता जब तक वह यह नहीं समझता कि उसे केवल खुद पर निर्भर रहना चाहिए; कि वह अकेला है, इस पृथ्वी पर अपने अनंत उत्तरदायित्वों के बीच अकेला, बिना किसी मदद के, केवल वही उद्देश्य जो वह खुद तय करता है और केवल वही भाग्य जो वह खुद इस पृथ्वी पर बनाता है।
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मनुष्य स्वतंत्र होने के लिए अभिशप्त है; क्योंकि एक बार जब उसे दुनिया में फेंक दिया जाता है, तो वह जो कुछ भी करता है उसके लिए वह जिम्मेदार होता है।
यह आप पर निर्भर है कि आप इस जीवन को क्या अर्थ देते हैं।
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शिकायतों का कोई फ़ायदा नहीं है, क्योंकि हम जो महसूस करते हैं, हम जो जीते हैं, या जो हम हैं, उसमें किसी भी बाहरी निर्णय का कोई योगदान नहीं है।
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जो लोग समाज में रहते हैं उन्होंने यह सीख लिया है कि वे अपने आप को दर्पण में वैसे देखें जैसे उनके दोस्त उन्हें देखते हैं। मेरा कोई दोस्त नहीं हैं: क्या यही कारण है कि मेरा माँस इतना नग्न है?
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जीवन का कोई अर्थ पहले से निर्धारित नहीं है। यह आप पर निर्भर है कि आप इसे एक अर्थ दें और इसका मूल्य केवल वही अर्थ है जो आप चुनते हैं।
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हमारे जीवन की रेतघड़ी से जितनी रेत बाहर फ़िसल चुकी है, उतना ही स्पष्ट हमें इस रेतघड़ी के आर पार दिखना चाहिए।
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मैं अपने आप का प्रतिद्वंदी हूँ। खाना, सोना, सोना, खाना। धीरे-धीरे, धीरे-धीरे अस्तित्व में होना, जैसे ये वृक्ष हैं, जैसे पानी का यह छोटा सा तालाब, जैसे सड़क पर एक लाल बेंच।
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स्वतंत्रता का अर्थ है – हमारे साथ जो हुआ हम उसके साथ क्या करते हैं।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere