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संघर्ष पर कवितांश

जिनकी कीर्ति अक्षुण्ण है

उन्हीं मनुष्य का जीवन है श्लाघनीय

जिनका जीवन कीर्तिरहित है

वे तो मृतक समान हैं

तिरुवल्लुवर

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