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विष्णु शर्मा

विष्णु शर्मा के उद्धरण

बुद्धिमान पुरुष (असमय में) कछुए की तरह अंग सिकोड़ लें और मार खाकर भी चुप रह जाए किंतु अवसर आने पर काले साँप के समान उठ खड़ा हो।

शीत में अग्नि अमृत है, प्रिय दर्शन अमृत है, राज-सम्मान अमृत है तथा क्षीर का भोजन अमृत है।

जिसके घर से अतिथि असम्मानित होकर दीर्घश्वास छोड़ता हुआ चला जाता है, उसके घर से पितरों सहित देवता विमुख होकर चले जाते हैं।

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