Font by Mehr Nastaliq Web

आत्मा पर काव्य खंड

आत्मा या आत्मन् भारतीय

दर्शन के महत्त्वपूर्ण प्रत्ययों में से एक है। उपनिषदों ने मूलभूत विषय-वस्तु के रूप में इस पर विचार किया है जहाँ इसका अभिप्राय व्यक्ति में अंतर्निहित उस मूलभूत सत् से है जो शाश्वत तत्त्व है और मृत्यु के बाद भी जिसका विनाश नहीं होता। जैन धर्म ने इसे ही ‘जीव’ कहा है जो चेतना का प्रतीक है और अजीव (जड़) से पृथक है। भारतीय काव्यधारा इसके पारंपरिक अर्थों के साथ इसका अर्थ-विस्तार करती हुई आगे बढ़ी है।

पाहुड़ दोहा-18

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-19

मुनि रामसिंह

पाहु़ड़ दोहा-22

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-17

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-20

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-13

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-9

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा- 1

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-15

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-10

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-7

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-12

मुनि रामसिंह

पाहुड़ दोहा-8

मुनि रामसिंह

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए