रेनर मारिया रिल्के के उद्धरण
एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य के प्रति प्रेम महसूस करना, शायद यह सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है, जो मनुष्यों को दी गई है। यही अंतिम संकट है। यह वह कार्य है जिसके लिए बाकी सभी कार्य मात्र एक तैयारी हैं।
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मैं इसे दो संबंधों के बीच की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी मानता हूँ। प्रत्येक एक-दूसरे के एकांत का प्रहरी हो।
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अपने भीतर सब कुछ घटित होने दो। सुंदरता और भय। कोई भी संवेदना अंतिम नहीं है।
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देखना और काम करना-यहाँ कितना अलग है। आप चारों तरफ़ नजरें दौड़ाइए और बाद में उस पर सोचिए, यहाँ सब कुछ तक़रीबन एक ही जैसा है।
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मुझे लगता है शरद के सिवा ऐसा कोई समय नहीं जब हमारी साँस में मिट्टी की बस एक गन्ध महसूस होती है-पकी हुई मिट्टी की। यह गन्ध समुद्र की गन्ध से कमतर नहीं है। समुद्र की लहरें जब दूर रहती हैं, तब उसकी गन्ध में एक कड़वापन रहता है, लेकिन जब वह एक स्वर के साथ पृथ्वी तट को छूती है तो उसमें मीठापन आ जाता है। यह अपने भीतर एक गहराई को समेटे होती है|
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आख़िरकार ख़तरे उठाने और अनुभव के उस छोर तक पहुँचने से ही कलाकृतियों का निर्माण सम्भव हो पाता है, जिससे आगे कोई और नहीं जा सकता। इस यात्रा में हम ज्यों-ज्यों आगे बढ़ते जाते हैं हमारा अनुभव निजी, वैयक्तिक और विलक्षण होता जाता है और इससे जो चीज़ सामने आती है वह इसी विलक्षणता की लगभग हूबहू अभिव्यक्ति होती है।
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कला में आप 'बहुत अच्छा' के भीतर ही रहते हैं। और जब तक आप इसके भीतर रहते हैं यह बढ़ता ही रहता है और आपको पार कर आगे निकल जाता है। मुझे लगता है कि सर्वोच्च अन्तर्दृष्टि और सूझ उसे ही हासिल होती है जो अपने काम के भीतर रहता है और वहाँ टिका रहता है, लेकिन जो उनसे दूरी बनाये रखता है वह उन पर अपनी पकड़ नहीं रख पाता।
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कुछ चीजें स्वाभाविक रूप से इतनी आकर्षक होती हैं कि उनके आगे कुछ और नहीं टिकता। ऐसा माना जाता है कि अपने काम के स्वरूप को लेकर हमारा स्पष्ट नज़रिया होना चाहिए, उस पर मज़बूत पकड़ हो, और सैकड़ों ब्योरे तैयार करके उसे समझना चाहिए। मैं महसूस करता हूँ और मुझे पक्का विश्वास है कि वैन गॉग को भी किसी मोड़ पर ऐसा अहसास जरूर हुआ होगा कि अभी तक कुछ नहीं हुआ है, सब कुछ मुझे ही करना है।
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उस कारण को ढूँढ़ो जो तुम्हारे भीतर लिखने की इच्छा पैदा करता है, झाँक कर देखो क्या उस कारण की जड़ें तुम्हारे हृदय की गहराइयों तक फैली हैं? और फिर अपने आप से स्वीकार करो कि यदि तुम्हें लिखने से रोका गया तो तुम जी नहीं पाओगे।
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किअर्केगार्ड के अनुसार सभी चीजों में पक्षियों की तरह पर्याप्त धैर्य और उड़ान की इच्छा रखता हूँ। स्वेच्छा से आँख मूँद कर पूरे धैर्य के साथ, प्रतिरोध के बीच चमकने का मक़सद लिये किये गये दैनन्दिन के कार्य दरअसल ऐसे विधान हैं, जो हमें नियन्त्रित करने की ईश्वर की आकांक्षा में बाधक नहीं हैं। रात दर रात हम जीवन के अध्यायों को बिना व्यवधान के ढक सकते हैं, बिना उनसे कोई विचार लिये जो ईश्वर की शरण में होते हैं।
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निश्चय ही, हमारे पास एक उच्चतम स्तर पाने के लिए अपना सब कुछ झोंक देने और दाँव पर लगा देने के सिवा और कोई विकल्प नहीं है। लेकिन जब तक वह चीज़ कलाकृति में आ न जाए, तब तक हम उसके बारे में मौन रखने के लिए बाध्य हैं।
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प्यार में बस इतनी कोशिश करनी है– एक-दूसरे को मुक्त करो। कि साथ आसानी से संभव होता है। हमें इसे सीखने की ज़रूरत नहीं।
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संवाद में दो तरह की स्वतन्त्रता सम्भव है। मेरे ख़्याल से यही दो सर्वोत्तम रूप हैं। एक तो यह कि किसी महत्त्वपूर्ण वस्तु से सीधे-सीधे साक्षात्कार करें। दूसरा रास्ता वह है जो रोज़मर्रा के जीवन में होता है। जैसे हम एक-दूसरे से मिलते हुए, एक-दूसरे के काम के बारे में बात करते हुए या मदद करते हुए (विनम्र शब्दों में) या प्रशंसा करते हुए आपस में संवाद करते हैं। पर किसी भी मामले में परिणाम का सामने आना ज़रूरी है। अगर कोई अपने सफलता के उपकरणों के बारे में बात नहीं करता तो इसका अर्थ यह नहीं कि हमारे आपसी विश्वास में कोई कमी है या उसकी बताने की इच्छा नहीं है या वह इस प्रसंग में पड़ना ही नहीं चाहता
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आँखों का काम अब पूरा हुआ। अब जाओ और हृदय का काम करो, उन छवियों पर जो तुम्हारे भीतर हैं।
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जीवन को घटित होने दो। मेरा विश्वास करो, वह सदैव सही दिशा में चल रहा होता है।
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शायद हमारे जीवन के सभी ड्रैगन, राजकुमारियाँ हैं जो इंतज़ार कर रही हैं कि सिर्फ़ एक बार हम सुंदरता और साहस से अपने क़दम आगे बढ़ाएँ। शायद वह सब कुछ जो हमें भीतर ही भीतर डराता है अपने गहनतम सार में कुछ असहाय-सा है जो हमारा स्नेह चाहता है।
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मैं उनके साथ होना चाहता हूँ जो रहस्यमयी चीज़ों के बारे में जानते हैं या फिर बिल्कुल अकेला।
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किसी मनुष्य का परिचय उससे हुआ तुम्हारा आख़िरी संवाद नहीं, बल्कि वह है जो वह तुम्हारे साथ समूचे रिश्ते में रहा।
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एक जादू है, जो हर बार उन्हें महसूस होता है जो वास्तव में प्रेम करते हैं। जितना आधिक वे देते हैं उससे कहीं आधिक वे अर्जित करते हैं।
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अपने अहँकार को भेद्य बनाओ। इच्छा, बहुत महत्त्व की वस्तु नहीं, शिकायतें किसी काम की नहीं, शोहरत कुछ भी नहीं है। निर्मलता, धैर्य, ग्रहणशीलता और एकाँत ही सब कुछ है।
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अपने एकाँत से एक अपनापन स्थापित करो, और उससे प्रेम करो। सहना सीखो उस पीड़ा को जो उस एकाँत से उपजती है, उसके साथ गुनगुनाओ। क्योंकी जो तुम्हारे समीप हैं, वे तुमसे बहुत दूर हैं।
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यदि हम स्वयं को पृथ्वी की प्रज्ञा को समर्पित कर दें, तब हम एक वृक्ष की तरह खड़े हो सकते हैं, अपनी जड़ों से मज़बूत।
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भविष्य हमारे अंतस में प्रवेश करता है, अपने आप को हमारे भीतर बदलने के लिए, अपने होने के बहुत पहले।
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जो कुछ भी कठोर है, भयकारी है, उसे हमारे स्नेह की आवश्यकता है।
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क्रोध में यदि तुम क्षण भर के लिए भी धैर्य रख सको तो तुम एक युग भर के दुःख से बच जाओगे।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere