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फ़्रेडरिक नीत्शे

1844 - 1900

फ़्रेडरिक नीत्शे के उद्धरण

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मैं इसलिए उदास नहीं हूँ कि तुमने मुझसे झूठ बोला, मैं इसलिए उदास हूँ; क्योंकि अब आगे से मैं तुम्हारा भरोसा नहीं कर पाऊँगा।

अनुवाद : आसित आदित्य

वह प्रेम का अभाव नहीं है जो शादीशुदा ज़िंदगी को अप्रसन्न बनाता है, बल्कि वह मित्रता का अभाव है।

अनुवाद : आसित आदित्य

वह जो हमारी जान नहीं ले लेता, हमें और मज़बूत बनाता है।

अनुवाद : आसित आदित्य

हमेशा की तरह आज भी लोगों को दो समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है—ग़ुलाम और आज़ाद। वह इंसान जिसके दिन का दो-तिहाई भाग उसका अपना नहीं है वह ग़ुलाम है, चाहे वह राजनेता हो, व्यवसायी हो, अधिकारी हो या कोई विद्वान हो।

अनुवाद : आसित आदित्य

आत्महत्या का विचार एक ख़ूबसूरत सांत्वना है जिसके सहारे हम अनेक स्याह रातें गुज़ार लेते हैं।

अनुवाद : आसित आदित्य

जो साँप अपना केंचुल छोड़ सके उसे मरना पड़ता है। ठीक उसी प्रकार वे मस्तिष्क जिन्हें उनकी राय बदलने से रोका जाता है; मस्तिष्क नहीं रह जाते।

अनुवाद : आसित आदित्य

जो कोई भी दानव से लड़ता है उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि लड़ाई की प्रक्रिया में कहीं स्वयं वह दानव बन जाए, क्योंकि जब आप किसी खाई को देर तक टकटकी लगाए देखते हैं तो वह खाई भी आपको घूरना आरंभ कर देती है।

अनुवाद : आसित आदित्य

कभी-कभी लोग सच इसलिए नहीं सुनना चाहते हैं क्योंकि वे नहीं चाहते हैं कि उनका भ्रम चकनाचूर हो जाए।

अनुवाद : आसित आदित्य

इस दुनिया में ऐसी कोई ख़ूबसूरत सतह नहीं है जिसकी भयानक गहराई हो।

अनुवाद : आसित आदित्य

तुम्हारा अपना रास्ता है, मेरा अपना और जहाँ तक सही और एकमात्र रास्ते का सवाल है तो ऐसे किसी रास्ते का अस्तित्व नहीं है।

अनुवाद : आसित आदित्य

तुम्हारा अंतःकरण क्या कहता है तुमसे?―”तुम्हें वह होना चाहिए जो तुम हो।”

अनुवाद : आसित आदित्य

हम जितना ऊँचा उड़ेंगे, उतना ही उन लोगों को छोटे नज़र आएँगे जो उड़ नहीं सकते।

अनुवाद : आसित आदित्य

अंतःकरण का दंश मनुष्यों को दंशन सिखाता है।

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