
एक ग़ुस्सा था रुके हुए पानी की तरह जिसके निकलने की कोई राह नहीं थी, इसलिए जहाँ वह रुका हुआ था, उन दीवारों को ही चाट रहा था।

सेंध लगाते पकड़ा गया चोर भी यही कहता है कि वह दीवार में छेद करना सीख रहा था।

एक ऐसी जेल में रहना बेहतर था, जहाँ आप दीवारों को पीट सकते थे; बजाय एक ऐसी जेल में रहने के, जहाँ आप देख नहीं सकते थे।