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दीवार पर उद्धरण

एक ग़ुस्सा था रुके हुए पानी की तरह जिसके निकलने की कोई राह नहीं थी, इसलिए जहाँ वह रुका हुआ था, उन दीवारों को ही चाट रहा था।

अमृता प्रीतम

सेंध लगाते पकड़ा गया चोर भी यही कहता है कि वह दीवार में छेद करना सीख रहा था।

कालिदास

एक ऐसी जेल में रहना बेहतर था, जहाँ आप दीवारों को पीट सकते थे; बजाय एक ऐसी जेल में रहने के, जहाँ आप देख नहीं सकते थे।

कार्सन मैक्कुलर्स
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