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शरण पर उद्धरण

ब्राह्मण, गौ, कुटुंबी, बालक, स्त्री, अन्नदाता और शरणागत- ये अवध्य होते हैं।

वेदव्यास

शरण या आज़ादी—और कोई रास्ता नहीं।

रघुवीर चौधरी

सभी लोग उपस्थित आश्रय को क्षीण होते देखकर अनागत आश्रय को अपनाते हैं।

माघ