
गांधी मानते हैं कि मनुष्य का लोभ ही उसके नाश का कारण है। लेकिन मार्क्स के अनुसार यह लोभ ही मानव के इतिहास की प्रगति का लक्षण है। मार्क्स की तरह गांधी पूर्वग्रह से पीड़ित नहीं थे।
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जो मन पूर्वाग्रह तथा द्वंद्व से मुक्त है वही देख सकता है कि सत्य क्या है।

यह धारणा कि काव्य व्यवहार का बाधक है, उसके अनुशीलन से अकर्मण्यता आती है, ठीक नहीं। कविता तो भावप्रसार द्वारा कर्मण्य के लिए कर्मक्षेत्र का और विस्तार कर देती है।