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नश्वर पर कविताएँ

मानव शरीर की नश्वरता

धार्मिक-आध्यात्मिक चिंतन के मूल में रही है और काव्य ने भी इस चिंतन में हिस्सेदारी की है। भक्ति-काव्य में प्रमुखता से इसे टेक बना अराध्य के आश्रय का जतन किया गया है।

विश्वास

बद्री नारायण

वे चले गए

रफ़ाइल अलबर्ती

ख़ुद के लिए

व्लादिमीर होलन

लायब्रेरी में एक घटना

ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त

रोगशैया पर

कोफ़ी अवूनोर

मठ के पीछे

अर्नेस्तो कार्देनाल

कृत्रिम गुलाब

सी. पी. कवाफ़ी

जल समाधि

टी. एस. एलियट

राख

वास्को पोपा

नहि रहत अहिना

अरुणाभ सौरभ

नक्षत्र-निपात

मैथिलीशरण गुप्त

फेंक आया अमरफल

बद्री नारायण

शाश्वत

दूधनाथ सिंह