देह पर कवित्त

देह, शरीर, तन या काया

जीव के समस्त अंगों की समष्टि है। शास्त्रों में देह को एक साधन की तरह देखा गया है, जिसे आत्मा के बराबर महत्त्व दिया गया है। आधुनिक विचारधाराओं, दासता-विरोधी मुहिमों, स्त्रीवादी आंदोलनों, दैहिक स्वतंत्रता की आवधारणा, कविता में स्वानुभूति के महत्त्व आदि के प्रसार के साथ देह अभिव्यक्ति के एक प्रमुख विषय के रूप में सामने है। इस चयन में प्रस्तुत है—देह के अवलंब से कही गई कविताओं का एक संकलन।

चोटी और पीठ वर्णन (नखशिख)

अब्दुर्रहमान 'प्रेमी'

संपूर्ण मूर्त वर्णन (नखशिख)

अब्दुर्रहमान 'प्रेमी'

गौरवर्ण वर्णन (नखशिख)

अब्दुर्रहमान 'प्रेमी'

उदर वर्णन (नखशिख)

अब्दुर्रहमान 'प्रेमी'

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