मैक्सिम गोर्की के उद्धरण

पृथ्वी स्वयं इस नए जीवन को जन्म दे रही है और सारे प्राणी इस आनेवाले जीवन की विजय चाह रहे हैं। अब चाहे रक्त की नदियाँ बहें या रक्त के सागर भर जाएँ, परंतु इस नई ज्योति को कोई बुझा नहीं सकता।

नवयुग की ज्योति को जो एक बार देख लेता है, उसी को वह पवित्र बनाती हुई जलाने लगती हैं।
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हर आदमी को दुनिया में बूट, जूता या छाता सुलभ नहीं होता परंतु हर आदमी को अपने पड़ोसी से अधिक दिखावा करने का शौक़ होता है।
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