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मरीना त्स्वेतायेवा

1892 - 1941 | मास्को

मरीना त्स्वेतायेवा के उद्धरण

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अर्थ का अनुवाद किया जा सकता है। शब्द का अनुवाद नहीं किया जा सकता है… संक्षेप में—शब्द का अनुवाद कर सकते हैं, उसकी ध्वनि का नहीं।

आपको केवल उन्हीं पुस्तकों को लिखना चाहिए जिनके होने से आप दुखी हैं।

लेखन कितना शांत है, छपना उतना ही शोर-शराबे वाला।

पंख आज़ादी तभी देते हैं, जब वे उड़ान में खुले हुए होते हैं। किसी की पीठ पर लदे वे भारी वज़न ही हैं।

जल्द ही हम सभी पृथ्वी के नीचे सोएँगे, हम जो औरों को कभी भी इसके ऊपर सोने नहीं देते हैं।

जो सबसे तेज़ जलता है, वही सबसे पहले मरता है।

आप भेड़िए को चाहे कितना भी खिला दें, लेकिन वह हमेशा जंगल पर निर्भर रहता है।

किसी ने भी एक ही नदी में दो बार क़दम नहीं रखा है, लेकिन क्या कभी किसी ने एक ही किताब को दो बार पढ़ा है?

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जादू अनुभव से अधिक पुराना है। कहानी अभिलेख से बहुत पहले की है।

मैं कविता के रूप में ऊपर उठूँगी…

कवि का रास्ता धूमकेतु की तरह है।

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हर दिन जीवन छेद वाली बोरी की तरह होता है, और आपको इसे हर हालत में ढोना होता है।

मैं बस एक घोंघा हूँ, जिसमें सागर अभी भी बज रहा है।

जीवन एक रेलवे स्टेशन है, मैं जल्द ही घूमने निकल जाऊँगी—कहाँ के लिए? नहीं बता सकती हूँ।

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