दान का हिसाब
एक था राजा। राजा जी लकदक कपड़े पहनकर यूँ तो हज़ारों रुपए ख़र्च करते रहते थे, पर दान के वक़्त उनकी मुट्ठी बंद हो जाती थी।
राजसभा में एक से एक नामी लोग आते रहते थे, लेकिन ग़रीब, दुखी, विद्वान, सज्जन इनमें से कोई भी नहीं आता था क्योंकि वहाँ पर इनका बिल्कुल