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परिपक्वता पर उद्धरण

प्रौढ़ता कल्पनामुक्त दर्शन से ही उपलब्ध होती है।

ओशो

प्रौढ़ता का उम्र से कोई संबंध नहीं।

ओशो

जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ी, मुझ पर कामू (एल्बर्ट कामू) के ‘द मिथ ऑफ़ सिसीफ़स’ के एक प्रेरणादायक उद्धरण का प्रभाव पड़ने लगा- ‘बंधनों में जकड़े हुए जीवन से दो-दो हाथ करने के लिए इतना बंधनमुक्त हो जाओ कि अपना पूरा अस्तित्व ही विद्रोही साबित हो जाए’।

अमोल पालेकर

भक्ति रस का पूर्ण परिपाक जैसा तुलसीदास जी में देखा जाता है, वैसा अन्यत्र नहीं।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल