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मूर्ख पर कवितांश

एक नीच व्यक्ति

जितनी पीड़ा स्वयं अपने आपको देता है

उतना ताप देना

किसी दुश्मन को भी संभव नही

तिरुवल्लुवर

अशिक्षित व्यक्ति भी भाग्यशाली है,

यदि विद्वानों की सभा में

व्याख्यान देने का साहस करे

तिरुवल्लुवर

मूर्खों की मित्रता अत्यंत सुखदायक है

क्योंकि उनके विछोह में वेदना कदापि नहीं होती।

तिरुवल्लुवर

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