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विश्वास पर कवितांश

विश्वास या भरोसे में

आश्वस्ति, आसरे और आशा का भाव निहित होता है। ये मानवीय-जीवन के संघर्षों से संबद्ध मूल भाव है और इसलिए सब कुछ की पूँजी भी है। इस चयन में इसी भरोसे के बचने-टूटने के वितान रचती कविताओं का संकलन किया गया है।

जितना उसके बारे में जानते हैं

उतना ही उसके बारे में कम जानकारी मिलती है

उस नायिका से अधिकाधिक सुख मिलने पर

उतना ही उसके बारे में जान पाते हैं

तिरुवल्लुवर

कई झूठ बोलने में

समर्थ दुष्ट के नीच वचन ही

स्त्री के सतीत्व को तोड़ने वाली

सेना होगी

तिरुवल्लुवर