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विश्वास पर गीत

विश्वास या भरोसे में

आश्वस्ति, आसरे और आशा का भाव निहित होता है। ये मानवीय-जीवन के संघर्षों से संबद्ध मूल भाव है और इसलिए सब कुछ की पूँजी भी है। इस चयन में इसी भरोसे के बचने-टूटने के वितान रचती कविताओं का संकलन किया गया है।

भोर से हो गई शाम

अन्नू रिज़वी

चंदन को विश्वास नहीं है

हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’

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