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ज़्यां कॉक्त्यू

1889 - 1963 | अन्य

फ्रेंच कवि, लेखक, नाटककार, फिल्म निर्देशक।

फ्रेंच कवि, लेखक, नाटककार, फिल्म निर्देशक।

ज़्यां कॉक्त्यू के उद्धरण

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कवि कोई खोज नहीं करता। वह सुनता है।

  • संबंधित विषय : कवि

आइनों को प्रतिबिबित होने के पहले बहुत सोचना चाहिए।

स्वभाव ही कला है।

  • संबंधित विषय : कला

यदि कवि का कोई स्वप्न है, तो वह ख्याति नहीं, बल्कि विश्वसनीय होना है।

मैं वह झूठ हूँ, जो हमेशा सच बोलता है।

  • संबंधित विषय : झूठ
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जिस चीज़ के लिए, भीड़ तुम्हारी निंदा करे, उसे पनपने दो। वही तुम्हारा अस्तित्व है।

जो तुम हो, वही रहो। इस संसार में मौलिकता ही पूजनीय है।

प्रेम के प्रमाण के सिवाय, प्रेम जैसी कोई भी चीज़ मौजूद नहीं है।

जीवन के रहते मनुष्य को एक जिंदादिल आदमी होना चाहिए और मरने के बाद एक कलाकार।

सिवाय राख के, मैंने अपने लिए कुछ भी नहीं रखा है।

  • संबंधित विषय : राख

एक कवि का दुर्भाग्य है वह प्रशंसा, जो उसे मिलती है बिना उसके शिल्प को समझे।

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कला वह विज्ञान है, जिसे स्पष्ट कर दिया गया है।

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कला, चेतन और अचेतन का परिणय है।

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जीवन एक आड़ी ढ़लान है।

साहित्य में सबसे महान कृति वह शब्दकोष है, जो अब लुप्तप्राय है।

तुमने कभी मृत्यु देखी है? हर रोज़ आइना देखो, और तुम पाओगे कि मधुमक्खियाँ काँच के छत्ते में अपना काम कर रही हैं।

एक फ़िल्म को कला तभी कह सकते हैं, जब उसके पुर्ज़े पेंसिल और पेपर जितने किफ़ायती हों।

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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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