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गोरख पांडेय

1945 - 1989 | देवरिया, उत्तर प्रदेश

जनवादी विचारों के चर्चित क्रांतिकारी कवि। भोजपुरी में भी लेखन।

जनवादी विचारों के चर्चित क्रांतिकारी कवि। भोजपुरी में भी लेखन।

गोरख पांडेय के उद्धरण

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हम विचारों के स्तर पर जिससे घृणा करते हैं, भावनाओं के स्तर पर उसी से प्यार करते हैं।

क्या ज़िंदगी प्रेम का लंबा इंतज़ार है?

कविता और प्रेम—दो ऐसी चीज़ें हैं, जहाँ मनुष्य होने का मुझे बोध होता है।

सवाल यह नहीं कि सुंदर कौन है। सवाल यह है कि हम सुंदर किसे मानते हैं।

सामाजिक चेतना सामाजिक संघर्षों में से उपजती है।

किसी का मूल्यांकन करते वक़्त हमें अपने दृष्टिकोण का भी मूल्यांकन करना चाहिए।

कविता लिखना कोई बड़ा काम नहीं, मगर बटन लगाना भी बड़ा काम नहीं। हाँ, उसके बिना पैंट-क़मीज़ बेकार होते हैं।

मुझे किसी को उदास करने का हक़ नहीं, हालाँकि ऐसे हालात में ख़ुश रहना बेईमानी है।

क्या यही सच है कॉमरेड कि विचार और क्रिया में दूरी हमेशा बनी रहती है?

भावनाएँ अस्तित्व की निकटतम अभिव्यक्ति हैं।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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