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अंचित

1990 | पटना, बिहार

नई पीढ़ी के कवि। गद्य-लेखन में भी सक्रिय।

नई पीढ़ी के कवि। गद्य-लेखन में भी सक्रिय।

अंचित के बेला

31 दिसम्बर 2024

...इस साल का आख़िरी ख़त

...इस साल का आख़िरी ख़त

एमजे के लिए इस साल का आख़िरी ख़त एक बीत गए में कुछ जोड़ना जितना मुश्किल है, उतना ही मुश्किल है उसे याद करना। एक ताख़े पर कुछ किताबें जुड़ जाती हैं, जैसे उनका कुछ ख़ुद से जुड़ जाता है। एक मन होत

26 जून 2024

विरह राग में चंद बेतरतीब वाक्य

विरह राग में चंद बेतरतीब वाक्य

महोदया ‘श’ के लिए  एक ‘स्त्री दुःख है।’ मैंने हिंदी समाज में गीत चतुर्वेदी और आशीष मिश्र की लोकप्रिय की गई पतली-सुतली सिगरेट जलाते हुए एक सुंदर फ़ेमिनिस्ट से कहा और फिर डर कर वाक्य बदल दिया—

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