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शुलामिथ फ़ायरस्टोन

1945 - 2012

उग्र नारीवादी विचारक, लेखिका और कार्यकर्ता। 'द डाइलेक्टिक ऑफ़ सेक्स' कृति के लिए उल्लेखनीय।

उग्र नारीवादी विचारक, लेखिका और कार्यकर्ता। 'द डाइलेक्टिक ऑफ़ सेक्स' कृति के लिए उल्लेखनीय।

शुलामिथ फ़ायरस्टोन के उद्धरण

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वह (स्त्री) ख़ुद से तब प्यार कर पाती है, जब कोई पुरुष उसे प्यार के क़ाबिल पाता है।

पुरुष-संस्कृति पारस्परिकता के बिना स्त्रियों की भावनात्मक ताक़त पर पोषित होने वाली परजीवी संस्कृति थी और है।

उसने उस स्त्री को अंदर इसलिए नहीं आने दिया, क्योंकि वह सचमुच में उससे प्यार करता था; बल्कि इसलिए क्योंकि उसने उसकी पूर्वकल्पित धारणाओं के अनुरूप स्वाँग किया था।

प्यार बहुत सरल घटना है—यह असमान शक्ति-संतुलन के चलते जटिल, विकृत या बाधित हो जाता है।

…वह (पुरुष) अपनी क़ब्र में छला हुआ महसूस करते हुए जाएगा, कभी यह नहीं समझ पाएगा कि एक स्त्री और दूसरी स्त्री के बीच बहुत अंतर नहीं है, और फ़र्क़ सिर्फ़ प्यार करने से पड़ता है।

यदि स्त्रियों के साथ भेदभाव केवल सतही शारीरिक विशेषताओं के कारण किया जाता है तो वास्तव में पुरुष जैसे हैं, वे उससे कहीं अधिक विशिष्ट और अचल दिखाई देते हैं।

नौ महीने की गर्भावस्था से गुज़रकर एक माँ महसूस करती है कि इतने दर्द और बेचैनी से पैदा हुआ वह बच्चा उसका है।

जब हम अपने वैश्विक दृष्टिकोण में चंद्रमा के अँधेरे पक्ष को शामिल कर लेंगे, केवल तभी हम सर्वव्यापी संस्कृति पर गंभीरता से बात कर सकते हैं।

स्त्रियों के बारे में सभी झगड़ों के पीछे असली कारण पुरुष का ख़ुद के प्रति वचनबद्ध हो पाना है।

पूजे जाने का अर्थ स्वतंत्र होना नहीं है।

मनोविश्लेषण में एक भी विचार गौण नहीं है, उन विचारों के नगण्य होने का दिखावा इसलिए किया जाता है ताकि उन्हें बताया जाए।

उत्पीड़ितों को सब लोगों को समझाने की ज़रूरत नहीं है। उन्हें बस यह जानना है कि वर्तमान प्रणाली उन्हें नष्ट कर रही है।

बच्चे को पालने का सबसे बेहतर तरीक़ा उसे छोड़ देना है!

प्यार को कभी समझा नहीं गया है, चाहे इसे पूरी तरह से अनुभव किया गया हो और उस अनुभव को संप्रेषित किया गया हो।

मुझे बस अपने कथानकों के विफल होने का डर है।

मेरा यक़ीन करो—अगर जिन पत्नियों के पतियों के किसी से विवाहेतर संबंध थे, उन सबने उन्हें छोड़ दिया होता, तो हमारे इस देश में केवल तलाक़शुदा महिलाएँ होतीं।

निष्पक्ष और उदार स्त्री का सम्मान तो किया जा सकता है, लेकिन शायद ही कोई कभी उससे प्यार करता हो।

बंधनमुक्त स्त्रियों ने जान लिया था कि पुरुषों की ईमानदारी, उदारता और सौहार्द झूठ था।

सभी पुरुष स्वार्थी, क्रूर और अविवेकी हैं—और मैं चाहती हूँ कि मुझे उनमें से कोई मिल जाए।

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