Font by Mehr Nastaliq Web

बेरोज़गारी पर उद्धरण

बेकारी या बेरोज़गारी

आधुनिक राज-समाज की एक प्रमुख समस्या है। अपने निजी अनुभवों के आधार पर इस संकट की अभिव्यक्ति विभिन्न कवियों द्वारा की गई है। प्रस्तुत चयन में ऐसी ही कविताओं का संकलन किया गया है।

भारत जैसे देश में ग़रीब या बेरोज़गार होना बड़ी बात नहीं। तभी जब कोई लेखनीधारी नागरिक अपनी विपन्नता के आत्मदयापूर्ण विवरण पेश करता है तो मुझे लगता है कि वह अप्रत्यक्ष रूप से उन सबका अपमान कर रहा है जो उससे भी कड़े अभावों को झेल रहे हैं पर उसकी तरह आत्म-प्रकाशन नहीं कर पा रहे हैं।

श्रीलाल शुक्ल

जिस सशक्त मनुष्य को अपनी पूरी शक्ति और अपने पूरे समय का उपयोग करने भर को काम मिल जाता है; उसे वह काम करने से रोकना, चरखे का उद्देश्य नही है।

महात्मा गांधी