बेरोज़गारी पर निबंध
बेकारी या बेरोज़गारी
आधुनिक राज-समाज की एक प्रमुख समस्या है। अपने निजी अनुभवों के आधार पर इस संकट की अभिव्यक्ति विभिन्न कवियों द्वारा की गई है। प्रस्तुत चयन में ऐसी ही कविताओं का संकलन किया गया है।
भारत वर्ष की दरिद्रता
जिसके धन और प्रशस्त भूमि की प्रशंसा, जिसमें प्राय: पृथ्वी मात्र की सभी वस्तु उत्पन्न होती हैं, संसार भर करता था; जहाँ सामान्य ऋतुओं के भोगने से देशियों को किसी दूसरे स्थान को जाने की आकांक्षा तक नहीं होती, और जहाँ की ख़ाने सभी अमूल्य रत्नों को उत्पन्न