बेवफ़ा सोनम बनी क़ातिल!
‘बेवफ़ा सोनम बनी क़ातिल’—यह नब्बे के दशक में किसी पल्प साहित्य के बेस्टसेलर का शीर्षक हो सकता था। रेलवे स्टेशन के बुक स्टाल्स से लेकर ‘सरस सलिल’ के कॉलमों में इसकी धूम मची होती। इसका प्रीक्वल और सीक्वल
07 जून 2025
प्रेम मेरे पाठ्यक्रम का सबसे कठिन अध्याय है
लड़कियों को अक्सर उनका आधा सच ही पता होता है। उम्र जब चौदह की सीढ़ी पर चढ़ती है, तब वह ख़ुद से पूछती है—करियर चुने या प्रेम? प्रेम... जो अभी तक बचपने से लिपटा हुआ है, जो देह की चाहत में उलझा एक भ्र
17 मई 2025
चंदर से गलबहियाँ नहीं, सुधा पर लानत नहीं
धर्मवीर भारती के कालजयी उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ पर इन दिनों फिर से चर्चा हो रही है। यह भी कम अचरज भरी बात नहीं है। आज़ादी के दो साल बाद आए इस उपन्यास पर अगली सदी में इस तरह का डिस्कोर्स शायद इसके
मोना गुलाटी की [अ]कविता
मोना गुलाटी अकविता की प्रतिनिधि कवि हैं। अकविता का मूल तत्त्व असहमति और विरोध से निर्मित हुआ है। असहमति और विरोध अक्सर समानार्थी शब्दों की तरह प्रयुक्त होते हैं, किंतु असहमति और विरोध में एक स्वाभावि