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अतिरंजित पर उद्धरण

काव्य को अपनी सुंदर अतिशयता से चकित करना चाहिए, कि विलक्षणता से। पाठक को काव्य उसके अपने ही विचारों का शब्दरूप लगना चाहिए और लगभग एक स्मृति जैसा ही प्रतीत होना चाहिए।

जॉन कीट्स

पढ़कर आनंद के अतिरेक से आँखें यदि गीली हो जाएँ तो वह कहानी कैसी?

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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