रामधारी सिंह दिनकर के उद्धरण

धर्म संपूर्ण जीवन की पद्धति है। धर्म जीवन का स्वभाव है। ऐसा नहीं हो सकता कि हम कुछ कार्य तो धर्म की मौजूदगी में करें और बाक़ी कामों के समय उसे भूल जाएँ।
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अर्धनारीश्वर केवल इसी बात का प्रतीक नहीं है कि नारी और नर जब तक अलग हैं तब तक दोनों अधूरे हैं, बल्कि इस बात का भी कि जिस पुरुष में नारीत्व नहीं, वह अधूरा है एवं जिस नारी में पुरुषत्व नहीं, वह भी अपूर्ण है।
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