फूलीबाई के दोहे
क्या गंगा क्या गोमती, बदरी गया पिराग।
सतगुर में सब ही आया, रहे चरण लिव लाग॥
जब लग स्वांस सरीर में, तब लग नांव अनेक।
घट फूटै सायर मिलै, जब फूली पूरण एक॥
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
गैंणा गांठा तन की सोभा, काया काचो भांडो।
फूली कै थे कुती होसो, रांम भजो हे रांडों॥
माटी सूं ही ऊपज्यो, फिर माटी में मिल जाय।
फूली कहै राजा सुणो, करल्यो कोय उपाय॥
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
फूली सतगुर उपरै, वारूं मेरो जीव।
ग्यांनी गुर पूरा मिल्या, तुरत मिलाया पीव॥
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
क्या इंद्र क्या राजवी, क्या सूकर क्या स्वांन।
फूली तीनु लोक में, कामी एक समान॥
-
संबंधित विषय : नीति
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ऊंचो नीछो कहा करे, निहचल कर लै मन्न।
झुग्गो सिर की पागड़ी, माटी मिलसी तन्न॥
-
संबंधित विषय : नीति
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere