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महादेवी वर्मा

1907 - 1987 | फ़र्रूख़ाबाद, उत्तर प्रदेश

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। कविता के साथ-साथ अपने रेखाचित्रों के लिए भी प्रसिद्ध। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। कविता के साथ-साथ अपने रेखाचित्रों के लिए भी प्रसिद्ध। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

महादेवी वर्मा के उद्धरण

क्यों अश्रु हों श्रृंगार मुझे?

जीवन की गहराई की अनुभूति के कुछ क्षण ही होते हैं, वर्ष नहीं। परंतु यह क्षण निरंतरता से रहित होने के कारण कम उपयोगी नहीं कहे जा सकते।

कोई यह आँसू आज माँग ले जाता!

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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