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भुवनेश्वर

1910 - 1958 | शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश

सुपरिचित कवि-कथाकार और नाटककार। जोखिमों से भरा बीहड़ जीवन जीने के लिए उल्लेखनीय।

सुपरिचित कवि-कथाकार और नाटककार। जोखिमों से भरा बीहड़ जीवन जीने के लिए उल्लेखनीय।

भुवनेश्वर के उद्धरण

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स्त्री के लिए प्रेम का अर्थ है कि कोई उसे प्रेम करे।

पुरुष और स्त्री की आत्माएँ दो विभिन्न पदार्थों की बनी हैं।

स्त्री उन पुरुषों के साथ फ़्लर्ट करती है, जो उससे विवाह नहीं करते और उस पुरुष के साथ विवाह करती है, जो उसके साथ फ़्लर्ट नहीं करता।

तीन दिन के वासना-प्रवाह में स्त्री बह जाती है और तीन वर्ष के एकांगी प्रेम पर वह एकांत में हँसती है।

स्त्री तुमसे घृणा करेगी, यदि तुम उसकी प्रकृति को समझने का दावा करते हो।

स्त्री आकाशकुसुम तोड़ ला सकती है, पर यह नहीं कह सकती है, ‘मैं अपराधी हूँ।’

स्त्री की वासना पर विजय पा लेना सुगम है। तुम उसका प्रेम पाने के लिए जान खपा सकते हो, पर उसके बाद जो कुछ भी तुम स्त्री से पाते हो, उसकी वासना ही है।

स्त्री एक पहेली है और उस पुरुष को घृणा करती है, जो वह पहेली बूझ सकता है।

विवाह करते समय स्त्री पुरुष की अच्छाई या बुराई का विश्लेषण नहीं करती, पर विवाह करने के तुरंत पश्चात ही वह उसे ‘अच्छा’ देखना चाहती है।

स्त्री पुरुष से कहीं अधिक क्रूर है और इसलिए पुरुष से कहीं अधिक सहनशील होने का दावा कर सकती है।

प्रत्येक स्त्री कहती है कि उसने कभी किसी को प्रेम नहीं किया, पर अमुक पुरुष उसको अत्यंत चाहता था। और वह यहाँ तक संपूर्ण है कि अपने ही असत्य पर विश्वास भी करती है।

स्त्री के ज्ञानकोश में आमोद-प्रमोद का केवल एक अर्थ है; वह करना, जो उसे नहीं करना चाहिए।

जब एक पुरुष एक स्त्री से प्रेम करता है, तो वह अपने समस्त पूर्व-प्रेमियों को ध्यान में रखती है, यदि उसमें और किसी भी भूतपूर्व प्रेमी में कुछ भी समानता है, तब उसकी सफलता की बहुत कम आशा है।

पुरुष और स्त्री की आत्माएँ दो विभिन्न पदार्थों की बनी हैं।

स्त्री फ़ैशन की ग़ुलाम है। जिस समाज में पति को प्रेम करना फ़ैशन है, वहाँ वह सती भी हो सकती है।

‘पुरुष स्त्री को समझ ही नहीं सकता’ यह कहना निरर्थक है, क्योंकि उसे समझकर कोई भी पुरुष स्त्री के विषय में मुँह नहीं खोलता।

एक पुरुष के लिए किसी स्त्री को क्षमा करना भावुकता है, एक स्त्री के लिए आँसुओं से उसका सबसे अच्छा सूट बिगाड़ देने के बाद यह कहना बहुत सहज है, ‘प्यारे, मैं पश्चाताप में मरी जा रही हूँ।’ हालाँकि जितनी हानि वह करना चाहती थी, कर चुकी।

एक महान पुरुष यदि एक स्त्री के पीछे भागता है, तो इसमें स्त्री के लिए गर्व की कौन-सी बात है? वह उस स्त्री से वही चाहता है, जो उसे सहस्रों अन्य स्त्रियाँ दे सकती हैं।

स्त्री कितनी पारदर्शी होती है, उसकी साड़ियाँ देखिए।

स्त्री के लिए प्रेम का अर्थ है कि कोई उसे प्रेम करे।

स्त्री अपने हृदय से यह भावना कभी नहीं निकाल सकती कि एक पुरुष को प्रेम कर वह उसे आभारी बना रही है।

तुम एक स्त्री को उसके प्रेम-वाक्यों की याद दिलाओगे जो प्रेम के प्रथम उफ़ान में उसने तुमसे कहे थे, वह बिगड़ जाएगी।

उस स्त्री से सावधान रहो, जो तुम्हें कभी प्रेम करती थी और अब दूसरे पुरुष की प्रेयसी या पत्नी है; क्योंकि उसका पुराना प्रेम कभी भी लौट सकता है और इससे बड़ी प्रवंचना संसार में नहीं है।

स्त्री पुरुष की आश्रिता है, इसका यह अर्थ है कि स्त्री को पुरुष के लिए आश्रय देना अनिवार्य है।

एक स्त्री एक कुमार के साथ अपना व्यभिचार स्वीकार कर लेगी, पर विवाहित पुरुष को वह सदैव बचाएगी—उसकी पत्नी के लिए।

स्त्री एक पुरुष के गुणों का आदर कर सकती है, पर वह उसके अवगुणों को ही आत्मसमर्पण करती है।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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