Font by Mehr Nastaliq Web

स्त्री पर गीत

स्त्री-विमर्श भारतीय

समाज और साहित्य में उभरे सबसे महत्त्वपूर्ण विमर्शों में से एक है। स्त्री-जीवन, स्त्री-मुक्ति, स्त्री-अधिकार और मर्दवाद और पितृसत्ता से स्त्री-संघर्ष को हिंदी कविता ने एक अरसे से अपना आधार बनाया हुआ है। प्रस्तुत चयन हिंदी कविता में इस स्त्री-स्वर को ही समर्पित है, पुरुष भी जिसमें अपना स्वर प्राय: मिलाते रहते हैं।

मैं नीर भरी

महादेवी वर्मा

खिली थी, झर गई बेला

देवेंद्र कुमार बंगाली

मन के मंजीरे

प्रसून जोशी

मैं पथ भूली

महादेवी वर्मा

वैशाली का रुदन गीत

हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’

दुलहिन

गोपालशरण सिंह

नारी

नरेंद्र शर्मा

देव-दासी

गोपालशरण सिंह

वारांगना

गोपालशरण सिंह

विधवा

गोपालशरण सिंह

मानवी

गोपालशरण सिंह

नहीं हलाहल शेष...

महादेवी वर्मा

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए