नमक पर उद्धरण
विविध प्रसंगों में लवण,
लावण्य और अश्रु के आशय को व्यक्त करती कविताओं से एक चयन।

नमक जैसा स्वादिष्ट होना बड़े अनुशासन और संयम की अपेक्षा करता है।

साँप काटे हुए आदमी के मुख में नमक देने पर वह उसे मिट्टी बताता है। इसी प्रकार यदि मूर्ख को यह ज्ञान अमृत तुल्य लगे तो हे जीवन! उसे ज्ञान रूपी बूटी घोल कर पिलाओ।

नमक पानी की थाह लेने गया तो वह स्वयं ही नहीं रहा, फिर कितना गहरा पानी है, यह नाप कैसे लेगा?