नमक पर दोहे

विविध प्रसंगों में लवण,

लावण्य और अश्रु के आशय को व्यक्त करती कविताओं से एक चयन।

संगत के अनुसार ही, सबकौ बनत सुभाइ।

साँभर में जो कछु परै, निरो नोंन ह्वै जाइ॥

दुलारेलाल भार्गव

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