noImage

दुलारेलाल भार्गव

दुलारेलाल भार्गव की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 103

इड़ा-गंग, पिंगला-जमुन, सुखमन-सरसुति-संग।

मिलत उठति बहु अरथमय, अनुपम सबद-तरंग॥

  • शेयर

गांधी-गुरु तें ग्याँन लै, चरखा-अनहद-ज़ोर।

भारत सबद-तरंग पै, बहत मुकति की ओर॥

  • शेयर

नखत-मुकत आँगन-गगन, प्रकृति देति बिखराय।

बाल हंस चुपचाप चट, चमक-चोंच चुगि जाय॥

  • शेयर

संतत सहज सुभाव सों, सुजन सबै सनमानि।

सुधा-सरस सींचत स्रवन, सनी-सनेह सुबानि॥

  • शेयर

हृदय कूप, मन रहँट, सुधि-माल, रस राग।

बिरह बृषभ, बरखा नयन, क्यों सिंचै तन-बाग॥

  • शेयर

सोरठा 8

पुस्तकें 2

 

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए