
लेखक को समझना, अपने पालतू कुत्ते को समझने के मुक़ाबले ज़्यादा महत्त्वपूर्ण सामाजिक कार्य है।

सिर्फ़ कूँ-कूँ करके कोई कुत्ता एक देश नहीं बन सकता, जैसे कि कोई देश दिन-रात निकम्मेपन और कूँ-कूँ करने का अभ्यास करके भी कुत्ता नहीं हो सकता।
लेखक को समझना, अपने पालतू कुत्ते को समझने के मुक़ाबले ज़्यादा महत्त्वपूर्ण सामाजिक कार्य है।
सिर्फ़ कूँ-कूँ करके कोई कुत्ता एक देश नहीं बन सकता, जैसे कि कोई देश दिन-रात निकम्मेपन और कूँ-कूँ करने का अभ्यास करके भी कुत्ता नहीं हो सकता।