आलोचक पर आलोचनात्मक लेखन
आलोचना एक साहित्यिक
विधा है जो कृतियों में अभिव्यक्त साहित्यिक अनुभूतियों का विवेकपूर्ण विवेचन उपरांत उनका मूल्यांकन करती है। कर्ता को आलोचक कहते हैं और उससे रचनाकार के प्रति, कृति के प्रति और समाज के प्रति उत्तरदायित्वों के निर्वहन की अपेक्षा की जाती है। नई कविता में प्रायः कवियों द्वारा आलोचकों को व्यंग्य और नाराज़गी में घसीटा गया है।
सुमित्रानंदन पंत (आधुनिक कविता का विकास)
गत पचीस वर्ष के भीतर हिंदी के काव्य-क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन हुआ है। इस परिवर्तन को स्पष्ट करने के लिए मैं यहाँ चार कवियों की चर्चा करता हूँ। आधुनिक हिंदी-कवियों में सबसे अधिक प्रसिद्धि बाबू मैथिलीशरण गुप्त की है। उन्हीं की रचनाएँ सबसे अधिक लोकप्रिय
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी
हिंदी-साहित्य में जब एक और कल्पना-प्रसूत-साहित्य का निर्माण हो रहा था तब कितने ही विज्ञों के द्वारा ज्ञान का क्षेत्र भी परिष्कृत हो रहा था। भारतेंदु जी हिंदी साहित्य सेवियों के लिए पथ-निर्देश कर गए थे। उनके बाद साहित्य-निर्माण का भार उन लोगों पर पड़ा,