कक्षा-9 एनसीईआरटी पर दोहे

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। 
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय॥ 

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय। 
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय॥

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय। 
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय॥

चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध-नरेस। 
जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस॥

दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं। 
ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं॥

धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिअत अघाय। 
उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय॥

नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत। 
ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछू न देत॥

बिगरी बात बने नहीं, लाख करौ किन कोय। 
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय॥

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि। 
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि॥

रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय। 
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सके बचाय॥

रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून। 
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥
रहीम

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

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