उद्धरण
उद्धरण श्रेष्ठता का संक्षिप्तिकरण हैं। अपने मूल-प्रभाव में वे किसी रचना के सार-तत्त्व सरीखे हैं। आसान भाषा में कहें तो किसी किताब, रचना, वक्तव्य, लेख, शोध आदि के वे वाक्यांश जो तथ्य या स्मरणीय कथ्य के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं, उद्धरण होते हैं। भाषा के इतिहास में उद्धरण प्रेरणा और साहस प्रदान करने का काम करते आए हैं। वे किसी रचना की देह में चमकती आँखों की तरह हैं, जिन्हें सूक्त-वाक्य या सूक्ति भी कहा जाता है। संप्रेषण और अभिव्यक्ति के नए माध्यमों में इधर बीच उद्धरणों की भरमार है, तथा उनकी प्रासंगिकता और उनका महत्त्व स्थापना और बहस के केंद्र में है।
सुप्रसिद्ध अमेरिकी लेखिका, निबंधकार, सांस्कृतिक आलोचक, विचारक और फ़िल्ममेकर।
19वीं शताब्दी के सुप्रसिद्ध स्कॉटिश लेखक और समाज सुधारक। 'सेल्फ़-हेल्प' कृति के लिए उल्लेखनीय।
छायावाद के आधार स्तंभों में से एक। 'प्रकृति के सुकुमार' कवि। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।
आधुनिक पंजाबी-काव्य के प्रमुख कवि। द्विवेदी युग के श्रेष्ठ निबंधकार। 'मज़दूरी और प्रेम' निबंध के लिए उल्लेखनीय।
छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। समादृत कवि-कथाकार। महाप्राण नाम से विख्यात।
अत्यंत प्रतिष्ठित और प्रशंसित कथाकार व नाटककार। 'मैंने मांडू नहीं देखा' और 'कोर्टमार्शल' बहुचर्चित पुस्तकें। असमय अलक्षित।
आध्यात्मिक गुरु, विचारक और समाज सुधारक। पश्चिम में वेदांत और योग के प्रसार में योगदान।
सुप्रसिद्ध नारीवादी दार्शनिक, लेखिका और सामाजिक विचारक। 'द सेकंड सेक्स' कृति के लिए उल्लेखनीय।
द्विवेदीयुगीन कवि। हिंदी की गांधीवादी राष्ट्रीय धारा के प्रतिनिधि कवि के रूप में समादृत।
20वीं शताब्दी के सुप्रसिद्ध लेखक, ईसाई दार्शनिक और आलोचक। 'द क्रॉनिकल्स ऑफ नार्निया' सीरीज़ के लिए लोकप्रिय।
ग्रीक त्रासदी के तीन महानतम नाटककारों में से एक। 'ओडीपस रेक्स', 'एंटिगनी', 'इलेक्ट्रा' आदि नाट्य-कृतियों के लिए उल्लेखनीय।