Font by Mehr Nastaliq Web
Swami Vivekananda's Photo'

स्वामी विवेकानन्द

1963 - 1902 | कोलकाता, पश्चिम बंगाल

स्वामी विवेकानन्द के उद्धरण

मेरा मूलमंत्र है कि जहाँ जो कुछ अच्छा मिले, सीखना चाहिए।

तुम्हारे ऊपर जो प्रकाश है, उसे पाने का एक ही साधन है—तुम अपने भीतर का आध्यात्मिक प्रदीप जलाओ, पाप और अपवित्रता का तमिस्त्र स्वयं भाग जाएगा। तुम अपनी आत्मा के उदात्त रूप का चिंतन करो, गर्हित रूप का नहीं।

जिसको स्वयं पर विश्वास नहीं, वही नास्तिक है।

यदि कोई सामाजिक बंधन तुम्हारे ईश्वर-प्राप्ति के मार्ग में बाधक है, तो आत्मशक्ति के सामने अपने आप ही टूट जाएगा।

संघर्ष को विकास का चिन्ह मानना तुम्हारी बड़ी भूल है। बात ऐसी कदापि नहीं है। आत्मसात्करण ही उसका चिन्ह है। हिंदू धर्म आत्मसात्करण की प्रतिभा का ही नाम है।

आप अँग्रेज़ों से नेताओं की आज्ञा का तुरंत पालन, ईर्ष्याहीनता, अथक लगन और अटूट आत्मविश्वास की शिक्षा प्राप्त करें। जब वह किसी काम के लिए एक नेता चुन लेता है, तो अँग्रेज़ हार-जीत में सदा उसका साथ देता है और उसकी आज्ञा का पालन करता है।

पहले अपने में अंतर्निहित आत्मशक्ति को जाग्रत करो, फिर देश के समस्त व्यक्तियों में जितना संभव हो, उस शक्ति के प्रति विश्वास जमाओ।

पाप है, पुण्य है, सिर्फ़ अज्ञान है। अद्वैत की उपलब्धि से यह अज्ञान मिट जाता है।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए