Font by Mehr Nastaliq Web
noImage

स्वयंभू

अपभ्रंश भाषा के 'वाल्मीकि'। रामकाव्य 'पउमचरिउ' से चर्चित।

अपभ्रंश भाषा के 'वाल्मीकि'। रामकाव्य 'पउमचरिउ' से चर्चित।

स्वयंभू के उद्धरण

दिन के पूर्व भाग में जो जीवित सूर्य दिखाई देता है, उसके अंतिम भाग में वही अंगारों का पुंजमात्र रह जाता है, जिसे लाखों श्रेष्ठ व्यक्ति प्रणाम करते हैं, वही स्वामी असमय में अकेला ही मर जाता है।

Recitation