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दोहे

अपभ्रंश साहित्य का प्रमुख छंद, जो कालांतर में लोक साहित्य का सबसे प्रिय छंद बना। यह अपने छोटे से कलेवर में कई बातें समेटने की क्षमता रखता है, इसीलिए इसे गागर में सागर भरने वाला छंद बताया गया है।

संत कवि और गायक। संत दादूदयाल के प्रधान शिष्यों में से एक। सांप्रदायिक सद्भाव के प्रचारक।

रीतिकाल के जैनकवि।

1719

अलंकार ग्रंथ 'भाषाभरण' के रचयिता। सरस दोहों और सटीक उदाहरणों के लिए प्रसिद्ध।

संत यारी के शिष्य और गुलाल साहब और संत जगजीवन के गुरु। सुरत शब्द अभ्यासी सरल चित्त संतकवि।

मधुर उपासना से संबंधित रीतिकालीन भक्त कवि।

1595 -1664

रीतिसिद्ध कवि। ‘सतसई’ से चर्चित। कल्पना की मधुरता, अलंकार योजना और सुंदर भाव-व्यंजना के लिए स्मरणीय।

1528 -1585

अकबर के नवरत्नों में से एक। वाक्-चातुर्य और प्रत्युत्पन्न-मति के धनी। भक्ति और नीति के सरल और सरस कवि।

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