बीरबल के दोहे
नमे तुरी बहुतेज नमे दाता धन देतो।
नमे अंब बह फल्यो नमे जलधर बरसेतो।
नमे सुकवि जन शुद्ध नमे कुलवँती नारी।
नमे सिंह गज हने नमे गज बैल सम्हारी।
कुंदन इमि कसियो नमे वचन ब्रह्म सच्चा भनै।
पर सूखा काठ अजान नर टूट पड़े पर नहिं नमे॥
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