Font by Mehr Nastaliq Web

विश्व पुस्तक मेला 2025 : पुस्तकों के साथ साहित्य और संस्कृति का उत्सव

देशभर के साहित्य-प्रेमियों की उत्सुकता को बढ़ाते हुए—भारत में पठन-संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गठित शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की पुस्तक संबंधित नोडल एजेंसी—नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया (एनबीटी) ने बहुप्रतीक्षित नई दिल्ली ‘विश्व पुस्तक मेला’ 2025 की मेज़बानी करने और आयोजन संबंधित तारीख़ों एवं जानकारियों की घोषणा कर दी है।

गत 52 वर्षों से अधिक की विरासत के साथ, दुनिया के सबसे बड़े और सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले साहित्यिक उत्सवों में से एक है—विश्व पुस्तक मेला का नवीनतम संस्करण 1 से 9 फ़रवरी, 2025 तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित होगा। यह बीते वर्षों में हुए संस्करणों से कहीं अधिक बड़ा और बेहतर होगा; जिसमें विश्व की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों के साथ साहित्य और संस्कृति का उत्सव मनाया जाएगा। 

इस वर्ष के विश्व पुस्तक मेले की थीम “हम, भारत के लोग...”—भारतीय संविधान की प्रस्तावना के प्रारंभिक शब्द हैं। पुस्तक मेले का थीम पवेलियन गणतंत्र भारत के 75 वर्षों (1950 - 2025) के उत्सव को विशिष्ट रूप से दिखाएगा।

इस साल पुस्तक मेले में क्या-क्या है ख़ास?

• थीम मंडप (हॉल 5) : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन, अहमदाबाद द्वारा डिज़ाइन किया गया यह मंडप इंस्टॉलेशन, किताबों, वृत्तचित्रों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारत के गणतंत्रीय आदर्शों को दिखाएगा।
• अंतरराष्ट्रीय फ़ोकस मंडप (हॉल 4) : ‘रूस से आई किताबें’—क्यूरेटेड प्रदर्शनों के माध्यम से रूस की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करेगा।
• लेखक कॉर्नर (हॉल 5) और लेखक मंच (हॉल 2) : साहित्यिक चर्चाओं में प्रमुख लेखकों, कवियों और अनुवादकों के साथ बातचीत संपन्न होगी।
• बच्चों का मंडप (हॉल 6) : कथावाचन, लेखन एवं अन्य रचनात्मक कार्यशालाओं और इंटरैक्टिव गतिविधियों के साथ युवा पाठकों एवं अभिभावकों की पसंदीदा जगह होगी।
• ‘सभी के लिए पुस्तकें’ (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार) की संयुक्त पहल के तहत ब्रेल पुस्तकों का हॉल 6 में निःशुल्क वितरण किया जाएगा।
• सांस्कृतिक मंच : गणतंत्र भारत के 75 वर्ष पूरे होने पर भारत की विविधता और विरासत का उत्सव मनाने वाले सांस्कृतिक प्रदर्शन प्रतिदिन शाम 6 से 8 बजे तक संपन्न होंगे।
• चित्रकारों का कोना : प्रकाशन में कला एवं व्यंग्यात्मक कार्टून के कार्यों की प्रदर्शनी

आयोजन से जुड़ी अन्य जानकारियों के लिए आप www.nbtindia.gov.in पर भी जा सकते हैं।

पुस्तक मेला जाने की सोच रहे हैं तो जान लीजिए ये ज़रूरी सूचनाएँ : 

• आयोजन तिथि : 1 से 9 फ़रवरी, 2025
• समय : सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक
• टिकट बिक्री : पुस्तक मेले के सहआयोजक भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) द्वारा ऑनलाइन (टिकट बिक्री लिंक की सूचना 26 जनवरी से एनबीटी इंडिया की वेबसाइट www.nbtindia.gov.in और ITPO की वेबसाइट https://indiatradefair.com/ पर दी जाएगी)।
• टिकट दिल्ली मेट्रो के चुनिंदा स्टेशनों पर भी उपलब्ध होंगे।
• टिकट दर : वयस्कों के लिए 20/- रु.  बच्चों के लिए 10/-रु।
• छात्रों (स्कूल यूनिफ़ॉर्म में), वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है।
• स्थान : हॉल 2-6, भारत मंडपम (प्रगति मैदान), नई दिल्ली
• प्रवेश द्वार : गेट 10 (मेट्रो स्टेशन के पास), गेट 4 (भैरों रोड), गेट 3
• निकटतम मेट्रो स्टेशन : सुप्रीम कोर्ट 
• शटल सेवा गेट नंबर 10 से उपलब्ध होगी।

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

10 जनवरी 2025

आत्म-तर्पण : कबहुँ न नाथ नींद भरि सोयो

10 जनवरी 2025

आत्म-तर्पण : कबहुँ न नाथ नींद भरि सोयो

‘हिन्दवी’ के विशेष कार्यक्रम ‘संगत’ के 89वें एपिसोड में हिंदी कथा साहित्य के समादृत हस्ताक्षर चन्द्रकिशोर जायसवाल ने यहाँ प्रस्तुत संस्मरणात्मक कथ्य ‘आत्म-तर्पण’ का ज़िक्र किया था, जिसके बाद कई साहित

19 जनवरी 2025

रविवासरीय : 3.0 : पुष्पा-समय में एक अन्य पुष्पा की याद

19 जनवरी 2025

रविवासरीय : 3.0 : पुष्पा-समय में एक अन्य पुष्पा की याद

• कार्ल मार्क्स अगर आज जीवित होते तो पुष्पा से संवाद छीन लेते, प्रधानसेवकों से आवाज़, रवीश कुमार से साहित्यिक समझ, हिंदी के सारे साहित्यकारों से फ़ेसबुक और मार्क ज़ुकरबर्ग से मस्तिष्क... • मुझे याद आ

02 जनवरी 2025

‘द लंचबॉक्स’ : अनिश्चित काल के लिए स्थगित इच्छाओं से भरा जीवन

02 जनवरी 2025

‘द लंचबॉक्स’ : अनिश्चित काल के लिए स्थगित इच्छाओं से भरा जीवन

जीवन देर से शुरू होता है—शायद समय लगाकर उपजे शोक के गहरे कहीं बहुत नीचे धँसने के बाद। जब सुख सरसराहट के साथ गुज़र जाए तो बाद की रिक्तता दुख से ज़्यादा आवाज़ करती है। साल 2013 में आई फ़िल्म ‘द लंचब

29 जनवरी 2025

जीवन को धुआँ-धुआँ करतीं रील्स

29 जनवरी 2025

जीवन को धुआँ-धुआँ करतीं रील्स

मैं बहुत लंबे समय से इस बात पर चिंतन कर रहा हूँ और यह कितना सही और ग़लत है—यह तो खोजना होगा; पर मैं मान कर चल रहा हूँ कि रोमांस मर चुका है। उसके साथ ही मर चुका है साहित्य। कला दम तोड़ रही है। अगर यह क

09 जनवरी 2025

ज़िंदगी की बे-अंत नैरंगियों का दीदार

09 जनवरी 2025

ज़िंदगी की बे-अंत नैरंगियों का दीदार

कहानी एक ऐसा हुनर है जिसके बारे में जहाँ तक मैं समझा हूँ—एक बात पूरे यक़ीन से कही जा सकती है कि आप कहानी में किसी भी तरह से उसके कहानी-पन को ख़त्म नहीं कर सकते, उसकी अफ़सानवियत को कुचल नहीं सकते।  उद

बेला लेटेस्ट