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शांतिनिकेतन में हुआ ‘कैंपस कविता’ का अनूठा आयोजन

विश्व-भारती, शांतिनिकेतन के हिंदी भवन में गई 6 मई को ‘कैंपस कविता’ का अप्रतिम आयोजन संपन्न हुआ। यह आयोजन हिंदी-विभाग और रेख़्ता समूह के उपक्रम ‘हिन्दवी’ के संयुक्त तत्त्वावधान में हुआ।

कविता-विरोधी इस दौर में 55 विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी स्वरचित कविताओं की प्रविष्टि जमा की थी। इसमें पश्चिम बंगाल के शिक्षा-संस्थाओं में पंजीकृत विद्यार्थियों को ही आवेदन करना था। प्रविष्टियों की यह संख्या अब तक हुए सभी आयोजनों में सर्वाधिक है।

यह देखना दिलचस्प था कि आयोजन में सुदूर दार्जिलिंग और कोलकाता से युवा कवि अपनी कविताओं का पाठ करने के लिए आए थे। 

सभी 55 प्रविष्टियों में 15 का चयन कविता-पाठ के लिए हुआ था। इन 15 भविष्य के कवियों ने हिंदी भवन में अपनी कविता पढ़ी। इनमें से चयन के लिए हिंदी के सर्वप्रिय कवियों विनय सौरभ, मनोज कुमार झा और सुधांशु फ़िरदौस को निर्णायक बनाया गया था।

कैंपस कविता के इस अध्याय में 5 युवा कवियों को पुरस्कृत किया गया। प्रथम पुरस्कार अमन त्रिपाठी को, द्वितीय पुरस्कार सृष्टि रोशन को और तृतीय पुरस्कार रूपायण घोष को दिया गया। वहीं रोशन पाठक और कृष्णा नंदन को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। 

कार्यक्रम की सफलता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि दोनों सत्रों में हॉल पूरी तरह भरा हुआ था। लोग बाहर सीढ़ियों तक खड़े होकर काव्य-पाठ का आनंद ले रहे थे। दूसरे सत्र में निर्णायक कवियों के काव्य-पाठ ने श्रोताओं को भावविह्वल कर दिया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में हिंदी-विभाग के अध्यक्ष सुभाषचंद्र रॉय और वरिष्ठ प्राध्यापकों ने महती भूमिका निभाई। 'हिन्दवी' के अविनाश मिश्र, देवीलाल गोदारा और हिंदी-विभाग की श्रुति कुमुद ने इस ‘कैंपस कविता’ के सारे क्रियाकलापों में सक्रिय भूमिका निभाई।

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