इंडिया फ़ेलो अपने 17वें बैच के लिए ले रहा है आवेदन
हिन्दवी डेस्क
26 जून 2024

इंडिया फ़ेलो युवा भारतीयों के लिए सामाजिक नेतृत्व हासिल करने का कार्यक्रम है। यह भारतीय परिवेश में ज़मीनी स्तर से जुड़कर, काम करते हुए, अनुभव हासिल करते हुए भारत के अध्येताओं को अपनी नेतृत्व क्षमता खोजने में मदद करता है, जिससे उनमें यह गुण विकसित हो जो उन्हें अपने भविष्य को आकार देने और बदलाव लाने के लिए सशक्त हों। यह ख़ुद की खोज करने और अपने भीतर के इंसान को बेहतर करने की एक अनूठी यात्रा है।
इंडिया फ़ेलो पिछले 14 सालों से एक बेहद उम्दा चयन प्रक्रिया के माध्यम से सामाजिक बदलाव के लिए उन्नत ज़मीनी संस्थाओं में प्रोजेक्ट लीड करने के लिए 25 युवाओं का चयन करता रहा है। इंडिया फ़ेलो कार्यक्रम में युवाओं को एक मेजबान संगठन के साथ जुड़कर प्रशिक्षण लेते हुए, सहकर्मी शिक्षण और सलाह के साथ एक सामाजिक मुद्दे पर लगातार 18 महीने तक काम करना होता है।
इसी क्रम में इंडिया फ़ेलो अगस्त 2024 में शुरू होने वाले अपने 17वें बैच के लिए आवेदन ले रहे हैं। आप आज ही आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के जुड़ी सभी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ आपको नीचे दिए गए लिंक पर उपलब्ध होंगी :
https://www.indiafellow.org/apply-now
इंडिया फ़ेलो का मानना है कि भविष्य में सामाजिक नेतृत्व करने वाले युवाओं में देश के हर हिस्से के जीवन का समझ और अनुभव हो। वे प्रतिबद्ध हों और भारत के सामने आने वाली सामाजिक चुनौतियों की समझ से प्रेरित हों और उनमें बदलाव लाने की गहरी इच्छा हो। वे अपने भविष्य को आकार दें और बदलाव लाएँ। युवाओं में बदलाव लाने की ज़बरदस्त क्षमता होती है, हमें केवल इस तरह के जुनून को दिशा देने में निवेश करने की ज़रूरत है।
हमारा मानना है कि एक विश्वसनीय ग़ैर-लाभकारी संगठन के साथ प्रशिक्षण और सलाह के साथ व्यापक जमीनी स्तर के अनुभव का संयोजन, किसी को भी भविष्य में बेहतर करने में मदद करेगा।
'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए
कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें
आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद
हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे
बेला पॉपुलर
सबसे ज़्यादा पढ़े और पसंद किए गए पोस्ट
12 जून 2025
‘अब सनी देओल में वो बात नहीं रही’
‘बॉर्डर 2’ का विचार सुनते ही जो सबसे पहला दृश्य मन में कौंधा, वह बालकनी में खड़े होकर पिता का कहना था—‘अब सनी देओल में वो बात नहीं रही।’ इस वाक्य में सिर्फ़ एक अभिनेता का अवसान नहीं था, एक पूरे युग क
29 जून 2025
‘बिंदुघाटी’ पढ़ते तो पूछते न फिरते : कौन, क्यों, कहाँ?
• उस लड़की की छवि हमेशा के लिए स्टीफ़न की आत्मा में बस गई, और फिर उस आनंद में डूबा हुआ पवित्र मौन किसी भी शब्द से नहीं टूटा... आप सोच रहे होंगे कि यहाँ किसी आशिक़ की किसी माशूक़ के लिए मक़बूलियत की बा
14 जून 2025
बेवफ़ा सोनम बनी क़ातिल!
‘बेवफ़ा सोनम बनी क़ातिल’—यह नब्बे के दशक में किसी पल्प साहित्य के बेस्टसेलर का शीर्षक हो सकता था। रेलवे स्टेशन के बुक स्टाल्स से लेकर ‘सरस सलिल’ के कॉलमों में इसकी धूम मची होती। इसका प्रीक्वल और सीक्वल
10 जून 2025
‘जब सोशल मीडिया नहीं था, हिंदी कविता अधिक ब्राह्मण थी’
वर्ष 2018 में ‘सदानीरा’ पर आपकी कविता-पंक्ति पढ़ी थी—‘यह कवियों के काम पर लौटने का समय है’। इस बीच आप फ़्रांस से लौटकर आ गए। इस लौटने में काम पर कितना लौटे आप? 2018 में जब यह कविता-पंक्ति संभव हुई
20 जून 2025
8/4 बैंक रोड, इलाहाबाद : फ़िराक़-परस्तों का तीर्थ
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एम.ए. में पढ़ने वाले एक विद्यार्थी मेरे मित्र बन गए। मैं उनसे उम्र में छोटा था, लेकिन काव्य हमारे मध्य की सारी सीमाओं पर हावी था। हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। उनका नाम वीरेंद्र