आवाज़ पर कवितांश
वाणी, ध्वनि, बोल, पुकार,
आह्वान, प्रतिरोध, अभिव्यक्ति, माँग, शोर... अपने तमाम आशयों में आवाज़ उस मूल तत्त्व की ओर ले जाती है जो कविता की ज़मीन है और उसका उत्स भी।
आवाज़ों मुझे माफ़ करो
मैं सुन रहा हूँ बहुत सारा शोर
पुकारना
गुम हो जाना है