Font by Mehr Nastaliq Web

नदी पर गीत

नदियों और मानव का आदिम

संबंध रहा है। वस्तुतः सभ्यता-संस्कृति का आरंभिक विकास ही नदी-घाटियों में हुआ। नदियों की स्तुति में ऋचाएँ लिखी गईं। यहाँ प्रस्तुत चयन में उन कविताओं को शामिल किया गया है, जिनमें नदी की उपस्थिति और स्मृति संभव हुई है।

अगर नदी में लहर न होती

विनोद श्रीवास्तव

नदी के तीर पर ठहरे

विनोद श्रीवास्तव

पहले हमें नदी का सपना

विनोद श्रीवास्तव

फिर नदी अचानक सिहर उठी

विनोद श्रीवास्तव

आज नदी में पाँव डुबाते

विनोद श्रीवास्तव

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

टिकट ख़रीदिए