होंठ पर कविताएँ

प्रेम और शृंगार की अभिव्यक्तियों

में कवियों का ध्यान प्रमुखता से होंठों पर भी रहा है। होंठों की सुंदरता और मुद्राएँ कवियों का मन मोह लेती हैं। प्रस्तुत चयन में होंठ को साध्य-साधन रखती कविताओं को शामिल किया गया है।

गुनाह का दूसरा गीत

धर्मवीर भारती

बोझ

गीत चतुर्वेदी

गुनाह का गीत

धर्मवीर भारती

जल रहा है

केदारनाथ अग्रवाल

होंठों की जुंबिश

प्रदीप्त प्रीत

पहला प्यार

साैमित्र मोहन

वह

अतुलवीर अरोड़ा

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